1,2,3,4,5. |
6,7,8,9,10,11,12. |
13. |
15. |
16. |
14. |
17. |
18. |
20. |
19. |
22, 23, 24. |
25. |
26. |
27. |
28. |
29. |
30. |
31, 32, 33, 34, 35, 36, 50, 51, 52, 53, 54, 55 . |
37. |
38. |
39. |
40. |
41. |
42. |
43, 44. |
45, 46, 47, 48, 49, 56, 57, 58, 59, 60. |
61. |
62. |
64. |
65. |
66. |
68. |
69. |
67. |
70. |
71, 72, 73, 74. |
75, 76, 77, 78. |
79. |
76, 76, 77, 78. |
80, 81,82,83,84. |
85. |
88. |
89,90,91,92,93,94. |
95. |
96. |
97. |
98,99,101,102,103,104,105,106. |
107,108. |
111. |
112. |
115. |
116. |
117,118. |
119,120. |
121. |
122. |
123. |
124. |
125,126. |
127,128,129,130,131,132,133,134,135,136,137,138. |
139. |
140. |
141. |
142,143,144,145,146. |
147. |
148. |
149. |
150. |
151. |
152. |
153. |
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155. |
156. |
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158. | [158] |
159. |
160,161,162. |
163. |
164,165. |
166. |
167. |
168. |
178,179,181,182,183,184. |
185,186. |
197,198,199,200. |
201. |
204. |
205. |
205. |
208. |
209. |
211. |
210. |
212. |
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218. |
219,220,221,223,224,230,232. |
233. |
234. |
235,236,237,238,239. |
242. |
243. |
250. |
252. |
253. |
254. |
255. |
256. |
258. |
259. |
247,248. |
260. |
261. |
263. |
264. |
265,266,267,268,269,270,271. |
276,277,278. |
279. |
280. |
281. |
282. |
283. |
284. |
285. |
286. |
287. |
288. |
289,290,291,292,293,294. |
295,296,297,298,299,300,301,302,303. |
304. |
305,306,307,308,309,310,311,313,314,315,316,317. |
A6. |
A7. |
A8. |
A9. |
A10. |
A11. |
188. |
A23, A24. |
109,319. |
枕草紙 (Makura no soshi) | ||
[158]
うらやましきもの
經など習ひて、いみじくたど/\しくて、忘れがちにて、かへす%\おなじ所を讀むに、法師は理、男も女も、くる/\とやすらかに讀みたるこそ、あれがやうに、いつの折とこそ、ふと覺ゆれ。心地など煩ひて臥したるに、うち笑ひ物いひ、思ふ事なげにて歩みありく人こそ、いみじくうらやましけれ。稻荷に思ひおこして參りたるに、中の御社のほど、わりなく苦しきを念じてのぼる程に、いささか苦しげもなく、後れて來と見えたる者どもの、唯ゆきにさきだちて詣づる、いとうらやまし。二月午の日の曉に、いそぎしかど、坂のなからばかり歩みしかば、巳の時ばかりになりにけり。やう/\暑くさへなりて、まことにわびしう かからぬ人も世にあらんものを、何しに詣でつらんとまで涙落ちてやすむに、三十餘ばかりなる女の、つぼ裝束などにはあらで、ただ引きはこえたるが、「まろは七たびまうでし侍るぞ。三たびはまうでぬ、四たびはことにもあらず未には下向しぬべし」と道に逢ひたる人にうち言ひて、くだりゆきしこそ、ただなる所にては目もとまるまじきことの、かれが身に只今ならばやとおぼえしか。男も、女も、法師も、よき子もちたる人、いみじううらやまし。髮長く麗しう、さがりばなどめでたき人。やんごとなき人の、人にかしづかれ給ふも、いとうらやまし。手よく書き、歌よく詠みて、物のをりにもまづとり出でらるる人。よき人の御前に、女房いと數多さぶらふに、心にくき所へ遣すべき仰書などを、誰も鳥の跡のやうにはなどかはあらん、されど下などにあるをわざと召して、御硯おろしてかかせ給ふ、うらやまし。さやうの事は、所のおとななどになりぬれば、實になにはわたりの遠からぬも、事に隨ひて書くを、これはさはあらで、上達部のもと、又始めてまゐらんなど申さする人の女などには、心ことに、うへより始めてつくろはせ給へるを、集りて、戲にねたがりいふめり。琴笛ならふに、さこそはまだしき程は、かれがやうにいつしかと覺ゆめれ。うち東宮の御乳母、うへの女房の御かた%\ゆるされたる。三昧堂たてて、よひあかつきにいのられたる人。雙六うつに、かたきの賽ききたる。まことに世を思ひすてたるひじり。
枕草紙 (Makura no soshi) | ||