1,2,3,4,5. |
6,7,8,9,10,11,12. |
13. |
15. |
16. |
14. |
17. |
18. |
20. |
19. |
22, 23, 24. |
25. |
26. |
27. |
28. |
29. |
30. |
31, 32, 33, 34, 35, 36, 50, 51, 52, 53, 54, 55 . |
37. |
38. |
39. |
40. |
41. |
42. |
43, 44. |
45, 46, 47, 48, 49, 56, 57, 58, 59, 60. |
61. |
62. |
64. |
65. |
66. |
68. |
69. |
67. |
70. |
71, 72, 73, 74. |
75, 76, 77, 78. |
79. |
76, 76, 77, 78. |
80, 81,82,83,84. |
85. |
88. |
89,90,91,92,93,94. |
95. | [95] |
96. |
97. |
98,99,101,102,103,104,105,106. |
107,108. |
111. |
112. |
115. |
116. |
117,118. |
119,120. |
121. |
122. |
123. |
124. |
125,126. |
127,128,129,130,131,132,133,134,135,136,137,138. |
139. |
140. |
141. |
142,143,144,145,146. |
147. |
148. |
149. |
150. |
151. |
152. |
153. |
154. |
155. |
156. |
157. |
158. |
159. |
160,161,162. |
163. |
164,165. |
166. |
167. |
168. |
178,179,181,182,183,184. |
185,186. |
197,198,199,200. |
201. |
204. |
205. |
205. |
208. |
209. |
211. |
210. |
212. |
213. |
215. |
216. |
217. |
218. |
219,220,221,223,224,230,232. |
233. |
234. |
235,236,237,238,239. |
242. |
243. |
250. |
252. |
253. |
254. |
255. |
256. |
258. |
259. |
247,248. |
260. |
261. |
263. |
264. |
265,266,267,268,269,270,271. |
276,277,278. |
279. |
280. |
281. |
282. |
283. |
284. |
285. |
286. |
287. |
288. |
289,290,291,292,293,294. |
295,296,297,298,299,300,301,302,303. |
304. |
305,306,307,308,309,310,311,313,314,315,316,317. |
A6. |
A7. |
A8. |
A9. |
A10. |
A11. |
188. |
A23, A24. |
109,319. |
枕草紙 (Makura no soshi) | ||
[95]
ねたきもの
これよりやるも、人のいひたる返しも、書きて遣りつる後、文字一つ二つなど思 ひなほしたる、頓の物ぬふに、縫ひはてつと思ひて針を拔きたれば、はやうしりを結 ばざりけり。又かへさまに縫ひたるもいとねたし。
南の院におはします頃、西の對に殿のおはします方に宮もおはしませば、寢殿に 集りゐて、さう%\しければ、ふれあそびをし、渡殿に集り居などしてあるに、「こ れ只今とみのものなり、誰も/\集りて、時かはさず縫ひて參らせよ」とて平縱の御 衣を給はせたれば、南面に集り居て、御衣片身づつ、誰か疾く縫ひ出づると挑みつ つ、近くも向はず縫ふさまもいと物狂ほし。命婦の乳母いと疾く縫ひはててうち置き つる。弓長のかたの御身を縫ひつるが、そむきざまなるを見つけず、とぢめもしあへ ず、惑ひ置きて立ちぬるに、御背合せんとすれば、早う違ひにけり。笑ひののしりて、「これ縫ひ直せ」といふを、「誰があしう縫ひたりと知りてか直さん、綾などならば こそ、裏を見ざらん縫ひたがへの人のげになほさめ。無紋の御衣なり。何をしるしに てか直す人誰かあらん。ただまだ縫ひ給はざらん人に直させよ」とて聞きも入れねば、「さいひてあらんや」とて、源少納言、新中納言など、いひ直し給ひし顏見やりて居 たりしこそをかしかりしか。これはよさりのぼらせ給はんとて、「疾く縫ひたらん人を思ふと知らん」と仰せられしか。
見すまじき人に、外へ遣りたる文取り違へて持て行きたる、ねたし。「げに過ち てけり」とはいはで、口かたうあらがひたる、人目をだに思はずば、走りもうちつべ し。おもしろき萩薄などを植ゑて見るほどに、長櫃もたるもの、鋤など提げて、ただ ほりに掘りていぬるこそ、佗しうねたかりけれ。よろしき人などのある折は、さもせ ぬものを、いみじう制すれど「唯すこし」などいひていぬる、いふがひなくねたし。 受領などの來て無禮に物いひ、さりとて我をばいかがと思ひたるけはひに、いひ出で たる、いとねたげなり。見すまじき人の、文を引き取りて、庭におりて見たてる、い とわびしうねたく、追ひて行けど、簾の許にとまりて見るこそ、飛びも出でぬべき心 地すれ。すずろなる事腹だちて、同じ所にも寢ず、身じくり出づるを、忍びて引きよ すれど、わりなく心ことなれば、あまりになりて、人も「さはよかンなり」と怨じて、かいくぐみて臥しぬる後、いと寒き折などに、唯ひとへ衣ばかりにて、あやにくがりて、大かた皆人も寢たるに、さすがに起き居たらん怪しくて、夜の更くるままに、ねたく起きてぞいぬべかりけるなど思ひ臥したるに、奧にも外にも物うちなりなどして恐しければ、やをらまろび寄りて衣ひきあぐるに、虚寐したるこそいとねたけれ。「猶こそこはがり給はめ」などうちいひたるよ。
枕草紙 (Makura no soshi) | ||