1,2,3,4,5. |
6,7,8,9,10,11,12. |
13. |
15. |
16. |
14. |
17. |
18. |
20. |
19. |
22, 23, 24. |
25. |
26. |
27. |
28. |
29. |
30. |
31, 32, 33, 34, 35, 36, 50, 51, 52, 53, 54, 55 . |
37. |
38. |
39. |
40. |
41. |
42. |
43, 44. |
45, 46, 47, 48, 49, 56, 57, 58, 59, 60. |
61. |
62. |
64. |
65. |
66. |
68. |
69. |
67. |
70. |
71, 72, 73, 74. |
75, 76, 77, 78. |
79. |
76, 76, 77, 78. |
80, 81,82,83,84. |
85. |
88. | [88] |
89,90,91,92,93,94. |
95. |
96. |
97. |
98,99,101,102,103,104,105,106. |
107,108. |
111. |
112. |
115. |
116. |
117,118. |
119,120. |
121. |
122. |
123. |
124. |
125,126. |
127,128,129,130,131,132,133,134,135,136,137,138. |
139. |
140. |
141. |
142,143,144,145,146. |
147. |
148. |
149. |
150. |
151. |
152. |
153. |
154. |
155. |
156. |
157. |
158. |
159. |
160,161,162. |
163. |
164,165. |
166. |
167. |
168. |
178,179,181,182,183,184. |
185,186. |
197,198,199,200. |
201. |
204. |
205. |
205. |
208. |
209. |
211. |
210. |
212. |
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215. |
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218. |
219,220,221,223,224,230,232. |
233. |
234. |
235,236,237,238,239. |
242. |
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250. |
252. |
253. |
254. |
255. |
256. |
258. |
259. |
247,248. |
260. |
261. |
263. |
264. |
265,266,267,268,269,270,271. |
276,277,278. |
279. |
280. |
281. |
282. |
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284. |
285. |
286. |
287. |
288. |
289,290,291,292,293,294. |
295,296,297,298,299,300,301,302,303. |
304. |
305,306,307,308,309,310,311,313,314,315,316,317. |
A6. |
A7. |
A8. |
A9. |
A10. |
A11. |
188. |
A23, A24. |
109,319. |
枕草紙 (Makura no soshi) | ||
[88]
めでたきもの
唐錦。錺太刀。作佛のもく。色あひよく花房長くさきたる藤の、松にかかりたる。六位の藏人こそなほめでたけれ。いみじき公達なれども、えしも著給はぬ綾織物を、 心にまかせて著たる青色すがたなど、いとめでたきなり。所衆雜色、ただの人の子ど もなどにて、殿原の四位五位六位も、官位あるが下にうち居て、何と見えざりしも、 藏人になりぬれば、えもいはずぞあさましくめでたきや。宣旨などもてまゐり、大饗 の甘栗使などに參りたるを、もてなし饗應し給ふさまは、いづこなりし天降人ならんとこそ覺ゆれ。御むすめの女御后におはします。まだ姫君など聞ゆるも、御使にてまゐりたるに、御文とり入るるよりうちはじめ、しとねさし出づる袖口など、明暮見しものともおぼえず。下襲の裾ひきちらして、衞府なるは今すこしをかしう見ゆ。みづから盃さしなどしたまふを、わが心にも覺ゆらん。いみじうかしこまり、べちに居し家の公達をも、けしきばかりこそかしこまりたれ、同じやうにうちつれありく。うへの近くつかはせ給ふ樣など見るは、ねたくさへこそ覺ゆれ。御文かかせ給へば、御硯の墨すり、御團扇などまゐり給へば、われつかふまつるに、三年四年ばかりのほどを、なりあしく物の色よろしうてまじろはんは、いふかひなきものなり。かうぶり得て、おりんこと近くならんだに、命よりはまさりて惜しかるべき事を、その御たまはりなど申して惑ひけるこそ、いと口をしけれ。昔の藏人は、今年の春よりこそ泣きたちけれ。今の世には、はしりくらべをなんする。博士のざえあるは、いとめでたしといふも愚なり。顏もいとにくげに、下臈なれども、世にやんごとなき者に思はれ、かしこき御前に近づきまゐり、さるべき事など問はせ給ふ御文の師にて侍ふは、めでたくこそおぼゆれ。願文も、さるべきものの序作り出して譽めらるる、いとめでたし。法師のざえある、すべていふべきにあらず持經者の一人して讀むよりも、數多が中にて、時など定りたる御讀經などぞ、なほいとめでたきや。くらうなりて「いづら御讀經あぶらおそし」などいひて、讀みやみたる程、忍びやかにつづけ居たるよ。后の晝の行啓。御うぶや。みやはじめの作法。獅子、狛犬、大床子などもてまゐりて、御帳の前にしつらひすゑ、内膳、御竃わたしたてまつりなどしたる。姫君など聞えしただ人とこそつゆ見えさせ給はね。一の人の御ありき。春日まうで。葡萄染の織物。すべて紫なるは、なにも/\めでたくこそあれ、花も、糸も、紙も。紫の花の中には杜若ぞ少しにくき。色はめでたし。六位の宿直すがたのをかしきにも、紫のゆゑなめり。ひろき庭に雪のふりしきたる。今上一の宮、まだ童にておはしますが、御叔父の上達部などの、わかやかに清げなるに抱かれさせ給ひて、殿上人など召しつかひ、御馬引かせて御覽じ遊ばせ給へる、思ふ事おはせじとおぼゆる。
枕草紙 (Makura no soshi) | ||