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[109、319]

[109、319]

見ぐるしきもの

衣の背縫かたよせて著たる人。又のけくびしたる人。下簾穢げなる上達部の御車。例ならぬ人の前に子を率ていきたる。袴著たる童の足駄はきたる、それは今樣のものなり。つぼ裝束したる者の、急ぎて歩みたる。法師、陰陽師の、紙冠して祓したる。また色黒う、痩せ、にくげなる女のかづらしたる。髯がちにやせ/\なる男と晝寢したる、何の見るかひに臥したるにかあらん。夜などはかたちも見えず 又おしなべてさる事となりにたれば、我にくげなりとて、起き居るべきにもあらずかし。翌朝疾く起き往ぬる、めやすし。夏晝寐して起きたる、いとよき人こそ今少しをかしけれ。えせかたちはつやめき寐はれて、ようせずば、頬ゆがみもしつべし。互に見かはしたらん程の、いけるかひなさよ。色黒き人の、生絹單著たる、いと見ぐるしかし。のしひとへも同じくすきたれど、それはかたはにも見えず。ほその通りたればにやあらん。

ものくらうなりて、文字もかかれずなりたり。筆も使ひはてて、これを書きはてばや。この草紙は、目に見え、心に思ふ事を、人やは見んずると思ひて、徒然なる里居のほどに、書き集めたるを、あいなく、人のため便なきいひ過しなどしつべき所々もあれば、きようかくしたりと思ふを、涙せきあへずこそなりにけれ。宮の御前に、内大臣の奉り給へりけるを、「これに何を書かまし。うへの御前には、史記といふ文を書かせ給へる」などの給はせしを、「枕にこそはし侍らめ」と申ししかば、「さば得よ」とて賜はせたりしを、あやしきを、こよや何やと、つきせずおほかる紙の數を、書きつくさんとせしに、いと物おぼえぬことぞおほかるや。大かたこれは世の中にをかしき事を、人のめでたしなど思ふべき事、なほ選り出でて、歌などをも、木、草、鳥、蟲をもいひ出したらばこそ、思ふほどよりはわろし、心見えなりともそしられめ。ただ心ひとつに、おのづから思ふことを、たはぶれに書きつけたれば、物に立ちまじり、人なみ/\なるべき耳をも聞くべきものかはと思ひしに、はづかしきなども、見る人はの給ふなれば、いとあやしくぞあるや。實にそれもことわり、人の憎むをもよしといひ、譽むるをもあしといふは、心の程こそおしはからるれ。ただ人に見えけんぞねたきや。