University of Virginia Library

Search this document 

  
 1. 
 2. 
 3. 
 4. 
 5. 
 6. 
 7. 
 8. 
 9. 
 10. 
 11. 
 12. 
 13. 
 14. 
 15. 
 16. 
 17. 
 18. 
 19. 
collapse section20. 
 1342. 
 1344. 
 1345. 
 1345. 
 1346. 
 1347. 
 1348. 
 1349. 
 1350. 
 1351. 
 1352. 
 1353. 
 1354. 
 1355. 
 1356. 
 1357. 
 1358. 
 1359. 
 1360. 
 1361. 
 1362. 
 1363. 
 1364. 
 1365. 
 1366. 
 1367. 
 1368. 
 1369. 
 1370. 
 1371. 
 1372. 
 1373. 
 1374. 
 1375. 
 1376. 

清輔朝臣

あしねはふ うき身の程や つれもなく 思ひもしらず すぐしつゝ ありへける社  うれしけれ 世にも嵐の やまかげに たぐふ木葉の ゆくへなく 成なましかば まつが枝に 千世に一 だび 咲くはなの 稀なることに いかでかは 今日は近江に ありといふ くち木の杣に くちゐたる  谷のうもれ木 なにごとを 思ひいでにて くれたけの 末の世までも しられまし うらみを殘す こと はたゞ とわたる船の とりかぢの 取もあへねば 置くあみの しづみ思へる こともなく 木の下がく れ 行くみづの 淺きこゝろに まかせつゝ かき集めたる くちばには 由もあらぬに 伊勢の海の あ まのたく繩 ながき世に とゞめむことぞ やさしかるべき