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第百二十八段
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第百二十八段

雅房大納言は、才賢く、よき人にて、大將にもなさばやとおぼしける比、院の近習な る人、「たゞ今あさましき事を見侍りつ」と申されければ、「何事ぞ」と問はせ給ひ けるに、「雅房卿、鷹に飼はんとて、生きたる犬の足を斬り侍りつるを、中牆の穴よ り見侍りつ」と申されけるに、疎ましく憎くおぼしめして、日來の御氣色も違ひ、昇 進もし給はざりけり。さばかりの人、鷹をもたれたりけるは思はずなれど、犬の足は あとなき事なり。虚言は不便なれども、かゝる事を聞かせ給ひて、憎ませ給ひける君 の御心は、いとたふとき事なり。

大方生ける物を殺し、痛めたゝかはしめて、あそび樂しまん人は、畜生殘害の類なり。 萬の鳥獸、小さき蟲までも、心をとめて有樣を見るに、子を思ひ、親をなつかしくし、 夫婦を伴ひ、嫉み怒り、欲多く、身を愛し、命を惜しめること、ひとへに愚癡なるゆ ゑに、人よりもまさりて甚だし。彼に苦しみを與へ、命を奪はん事、いかでかいたま しからざらん。

すべて一切の有情を見て慈悲の心なからんは、人倫にあらず。