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序段 (Tsurezuregusa) | ||
第百七段
女の物言ひかけたる返事、とりあへずよきほどにする男は有り難きものぞとて、龜山 院の御時、しれたる女房ども、若き男達の參らるゝ毎に、「郭公や聞き給へる」と問 ひて試みられけるに、なにがしの大納言とかやは、「數ならぬ身はえ聞き候はず」と 答へられけり。堀川内大臣殿は、「岩倉にて聞きて候ひしやらん」と仰せられたりけ るを、「是は難なし。數ならぬ身、むつかし」など定め合はれけり。
すべて男をば、女に笑はれぬやうにおほしたつべしとぞ。「淨土寺前關白殿は、幼く て、安喜門院のよく教へ參らせさせ給ひける故に、御詞などのよきぞ」と、人の仰せ られけるとかや。山階左大臣殿は、「あやしの下女の見奉るも、いとはづかしく、心 づかひせらるゝ」とこそ仰せられけれ。女のなき世なりせば、衣文も冠も、いかにも あれ、ひきつくろふ人も侍らじ。
かく人にはぢらるゝ女、如何ばかりいみじきものぞと思ふに、女の性は皆ひがめり。
人我の相深く、貪欲甚だしく、物の理を知らず。たゞ迷の方に心も早く移り、詞も巧 に、苦しからぬ事をも問ふ時は言はず。用意有るかとみれば、又あさましき事まで問 はず語りに言ひ出す。深くたばかりかざれる事は、男の智慧にもまさりたるかと思へ ば、其の事跡よりあらはるゝを知らず。すなほならずして、拙きものは女なり。其の 心に隨ひてよく思はれん事は、心うかるべし。されば、何かは女のはづかしからん。 もし賢女あらば、それも物うとく、すさまじかりなん。たゞ迷をあるじとしてかれに したがふ時、やさしくも面白くも覺ゆべき事なり。
序段 (Tsurezuregusa) | ||